मंगलवार, 5 जनवरी 2010

जाट महाराजा ने अंग्रेजों को भरतपुर से बाहर निकाल दिया

अहमदशाह अब्दाली ने 1757 से 1761 के बीच महाराजा सूरजमल से कई बार रुपयों की मांग की। अपने राज्य की रक्षा के लिये महाराजा ने अब्दाली को कभी दो करोड़़, कभी 65 लाख, कभी 6 लाख तथा अन्य बड़ी–बड़ी राशि देने के वचन दिये किंतु उसे कभी फूटी कौड़ी नहीं दी। 1761 में अब्दाली अड़ गया कि इस बार तो वह कुछ लेकर ही मानेगा। महाराजा ने कहा कि उसे 6 लाख रुपये दिये जायेंगे किंतु अभी हमारे पास केवल 1 लाख रुपये ही हैं। अब्दाली केवल एक लाख रुपये ही लेकर चलता बना। उसके बाद महाराजा ने उसे कभी कुछ नहीं दिया।

एक दिन अफगान सैनिकों को महाराजा सूरजमल के आगमन की सूचना मिली। वे हिण्डन नदी के कटाव में छिप कर बैठ गये। जब महाराजा वहाँ से होकर निकला तो अफगानियों ने अचानक हमला बोल दिया। सैयद मोहम्मद खां बलूच ने महाराजा के पेट में अपना खंजर दो–तीन बार मारा और एक सैनिक ने महाराजा की दांयी भुजा काट दी। भुजा के गिरते ही महाराजा धराशायी हो गया। उसी समय उसके शरीर के टुकड़े टुकड़े कर दिये गये। एक मुस्लिम सैनिक महाराजा की कटी हुई भुजा को अपने भाले की नोक में पताका की भांति उठाकर नजीबुद्दौला के पास ले गया। इस प्रकार 25 दिसम्बर 1763 को हिन्दूकुल गौरव महाराजा सूरजमल का दर्दनाक अंत हो गया।

महाराजा की मृत्यु के बाद मराठों ने आमलगीर द्वितीय के साथ मिलकर भरतपुर राज्य समाप्त करने की योजना बनायी। 1784 में शाह आलम द्वितीय की ओर से सिंधिया ने भरतपुर राज्य पर आक्रमण करके राज्य का बहुत बड़ा क्षेत्र दबा लिया। इस पर राजमाता किशोरी देवी ने मराठों से गुहार की कि वे जाट राज्य समाप्त न करें। इस पर सिंधिया ने भरतपुर का सारा क्षेत्र जाटों को लौटा दिया। जाट मराठों को चौथ के रूप में दो लाख रुपया प्रतिवर्ष देने लगे।

ई. 1803 में अंगे्रजों ने भरतपुर राज्य के पास प्रस्ताव भिजवाया कि यदि जाट अंग्रेजों से संधि कर लें तो अंग्रेज मराठों के हाथों से जाटों के राज्य की रक्षा करेंगे। इसके बदले में वे जाटों से कोई राशि भी नहीं लेंगे। इस प्रकार ई। 1803 में जनरल लेक और भरतपुर के राजा रणजीतसिंह के बीच संधि हो गयी। अंगे्रजों ने मराठों से छीने हुए जाट क्षेत्र रणजीतसिंह को लौटा दिये। यह संधि अधिक दिनों तक नहीं टिक सकी। अंग्रेज सिपाही जाटों के राज्य में गाय मार कर खाने लगे। इस पर रणजीतसिंह ने अंगे्रजों को भरतपुर राज्य से बाहर जाने के लिये कह दिया।

6 टिप्‍पणियां:

बेनामी ने कहा…

SURAJMAL JAAT NE MARATHO KA SAAT PANIPATH ME CHHOD DIYA THA Dr. SAHAB

बेनामी ने कहा…

मराठो ने दिल्ली पर कब्जा करके महाराजा सूरजमल को धोखा दिया तब भी महाराजा ने पाऩीपत में घायल मराठो की सेवा की

ashoksinghbhadu ने कहा…

मोहन लाल गुप्ता बेवड़े
क्यो झूठ लिख रहा है!
जब तुझे पता नही तो इतिहासकार नत बना कर ?
क्या दुश्मनी है तेरी जाटों से

कभी तेजाजी को राजपूत बनाता है! कभी सूरजमल जी को बौना दिखाता है!तेरा मकसद क्या हैं! बात कर सीधे मुंह

GenaRam ने कहा…


मोहन लाल गुप्ता बेवड़े
क्यो झूठ लिख रहा है!
जब तुझे पता नही तो इतिहासकार नत बना कर ?
क्या दुश्मनी है तेरी जाटों से

कभी तेजाजी को राजपूत बनाता है! कभी सूरजमल जी को बौना दिखाता है!तेरा मकसद क्या हैं! बात कर सीधे मुंह

GenaRam ने कहा…

कीयु झूठी मन घड़ट करता इतिहास को ख़राब लिखता मनु डूब मर

Yogendra Singh Chhonkar ने कहा…

महाराजा सूरजमल के बारे में कुछ लिखा है। आप मेरी वेबसाइट पर जाकर पढ़ें।
https://historypandit.com/maharaja-surajmal/