गोरा हट जा
Told and untold stories of rajput princes
जब तक इंगलैण्ड के मुकुट में भारत रूपी हीरा जड़ा हुआ है तब तक इंगलैण्ड को कोई पछाड़ नहीं सकता। किंतु इसकी कीमत हम तब तक नहीं समझेंगे जब तक कि हम इसे खो न देंगे। – लॉर्ड कर्जनसिकंदर के भारत में आने से भी बहुत पहले, रोम के शासक ने कहा था भारतीयों के बागों में मोर, उनके खाने की मेज पर कालीमिर्च तथा उनके बदन का रेशम, हमें पागल बना देता है। हम इन चीजों के लिये बर्बाद हुए जा रहे हैं।
एलेक्जेण्ड्रिया के सिकंदर से लेकर, शक, कुषाण, हूण, ईरानी, तूरानी, अफगानी, मुगल, मंगोल, पुर्तगाली, डच तथा french आदि अनेकानेक जातियां भारत में घुसीं। बहुतों के तो अब इतिहास भी मिट गये। किसी को हाथी चाहिये थे तो किसी को चंदन की लकड़ी। किसी को नील की ललक थी तो किसी को कपास की। किसी को सोना चाहिये था तो किसी को गरम मसाले। किसी को दशरथ नंदन राम ने लुभाया था तो किसी को यशोदा नंदन कृष्ण ने।
सब आये और सबने पाया। जो आये वो वापस नहीं गये। या तो यहीं के होकर रह गये या वापसी के प्रयास में मारे गये। सबसे अंत में आने वाले अंग्रेज थे जो मोर, काली मिर्च या रेशम के लिये नहीं अपितु भारत के कण–कण से वह सब कुछ ले जाने के लिये आये थे जो उनके प्यारे इंगलैण्ड को संसार का सबसे धनी देश बना दे। इंगलैण्ड ने भारत से वो सब कुछ लूटा जो उसे कहीं और से नहीं मिला था।
भारत इंगलैण्ड की रानी के मुकुट में जड़ा हुआ सबसे कीमती हीरा था। उन्होंने स्वप्न में भी नहीं सोचा था कि एक दिन उन्हें भारत से वापस जाना पड़ेगा किंतु इतिहास कभी एक बिंदु पर नहीं ठहरता, वह चलता रहता है। इतिहास ने अंग्रेजों के भारत से वापस जाने की तिथि भी निश्चित कर रखी थी। एक दिन उन्हें भीगी आंखों, दिल में उठती सिसकियों और उफनती भावनाओं को लेकर यहां से वापस जाना ही पड़ा। राजपूतना रियासतों में उनके आने और जाने की कहानी है– गोरा हट जा!
– डॉ. मोहनलाल गुप्ता
63, सरदार क्लब योजना,
वायुसेना क्षेत्र, जोधपुर
1 टिप्पणी:
धन्यवाद् सुमनजी - मोहनलाल गुप्ता
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